इतिहास से मुक्त होकर,
पगडंडियों से जरा हटकर,
कुदृष्टियों और उपदेशों को,
पीछे छोड़,
परिणामों से जरा संभलकर
वर्तमान के साथ चलें।
ले हाथों में हाथ चलें।
आओ फिर साथ चलें।
कौन क्या कहता है?
कौन कहाँ रहता है?
किसकी गलती थी?
किसकी मस्ती थी?
झूठ,छल,कपट से दूर,
प्रश्नों को छोड़ चलें।
उत्तर की ओर चलें।
आओ फिर साथ चलें।
अपना-पराया नहीं,
भिन्न यह काया नहीं,
जकड़े कोई माया नहीं,
पद की ना भूख मुझे,
धन की ना भूख तुझे,
तन्हाई छोड़ चलें।
पथ अपने मोड़ चलें।
आओ फिर साथ चलें।
लुटने का गम नहीं,
टूटेगा मन नहीं,
थका अभी तन नहीं,
प्रेम का नवनीत है,
सृजन करें गीत है,
प्रेम की रीत चलें।
इक-दूजे को जीत चलें।
आओ फिर साथ चलें।
संध्या की वेला है,
सूख गया केला है,
रहा न जाय अकेला है,
कोई गुरु न चेला है
प्रेम पथ अलबेला है,
गाते हुए गीत चलें।
दोनों मिल मीत चलें।
आओ फिर साथ चलें।
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