Monday, February 15, 2021

आकर्षण का समय है बीता

 विशुद्ध प्रेम की वेला है

                                         


आकर्षण का समय है बीता, विशुद्ध प्रेम की वेला है।

संबंधों का जाल नहीं ये, दिल से दिल का मेला है।।

हम दोनों हैं और न कोई।

जाग्रत प्रेम, वासना सोई।

जिसको जो कहना है कह ले,

आओ, सोयें औढ़ के लोई।

साथ आओ कुछ बातें कर लें, समय गया, जो पेला है।

संबंधों का जाल नहीं ये, दिल से दिल का मेला है।।

संबंधों की, ना मजबूरी।

नर-नारी में कैसी दूरी?

अकेले-अकेले फिरें अधूरे,

मिलकर होती जोड़ी पूरी।

अखरोटों से दाँत हैं टूटे, बैठ खाओ अब केला है।

संबंधों का जाल नहीं ये, दिल से दिल का मेला है।।

प्राकृतिक पूरक, नर और नारी।

मिलकर बोते, सुख की क्यारी।

देशकाल की नहीं है सीमा,

नारी नर से नहीं है न्यारी।

संग-साथ का समय मिले जब, खेलो प्रेम के खेला है।

संबंधों का जाल नहीं ये, दिल से दिल का मेला है।।


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