शिखरों पर, तुम्हें चढ़ना होगा
डाॅ.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
कितनी भी आयें, कठिनाई, तुमको, आगे बढ़ना होगा।
कोमल हो, पर दृढ़ भी तो हो, शिखरों पर, तुम्हें चढ़ना होगा।।
जिस गंतव्य, तुम जाना चाहो।
जिस लक्ष्य को, पाना चाहो।
सक्षम हो तुम, कर सकती हो।
गाओ, जो तुम, गाना चाहो।
रूककर कुछ, विश्राम करो तुम, पथ पर फिर से, बढ़ना होगा।
कोमल हो, पर दृढ़ भी तो हो, शिखरों पर, तुम्हें चढ़ना होगा।।
अंधकार में, मत घबड़ाना।
प्रेम का छोटा, दीप जलाना।
अकेलापन जब, तुम्हें डराये,
दिल से तुम, आवाज लगाना।
कदम-कदम, मैं साथ चलूँगा, बस सीमाओं में उड़ना होगा।
कोमल हो, पर दृढ़ भी तो हो, शिखरों पर, तुम्हें चढ़ना होगा।।
संघर्ष नहीं, समन्वय करके।
एक-दूजे के पूरक बनके।
साथ रहे हैं, हम साथ रहेंगे,
पा लेंगे, सब साथ में चलके।
नर-नारी को साथ-साथ मिल, आनंद पथ पर बढ़ना होगा।
कोमल हो, पर दृढ़ भी तो हो, शिखरों पर, तुम्हें चढ़ना होगा।।
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