Sunday, May 31, 2020

कदम-कदम, यह साथ है, चलती,

चिर संगिनी नारी है


                                        डाॅ.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी



शक्ति की मूरत, भोली सी सूरत, विधि की रचना प्यारी है।
कदम-कदम, यह साथ है, चलती, चिर संगिनी नारी है।।
सौन्दर्य ही नहीं, शक्ति भी है।
कहती ही नहीं, करती भी है।
हर विपत्ति में, हाथ थामती,
डराती ही नहीं, डरती भी है।
नख से शिख, सौन्दर्य समाया, पीड़ा सहती, सारी है।
कदम-कदम, यह साथ है, चलती, चिर संगिनी नारी है।।
हँसने से, यह भी हँसती है।
नर को, कष्ट, यह भी रोती है।
कमजोर और अबला, मत कहना,
सब कुछ सहकर भी, जीती है।
नर ने, बहुत खेल है खेला, अब नारी की बारी है।
कदम-कदम, यह साथ है, चलती, चिर संगिनी नारी है।।
संघर्ष नहीं, सहयोग चाहिए।
राष्ट्रप्रेमी को नहीं, जीत चाहिए।
सच को कह ले, सच को सुन ले,
ऐसा बस एक, मीत चाहिए।
विश्वास पुष्प, उर माँहि खिलेगा, तू सींच ले, सच की क्यारी है।
कदम-कदम, यह साथ है, चलती, चिर संगिनी नारी है।।

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.