साथ में मेरे आ जाओ
डाॅ.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
टेढ़़े-मेढ़े, अंधेरे पथ पर, सहजता से,
चल सको, तो, साथ में मेरे आ जाओ।
लोभ, लालच, ईष्र्या-द्वेष, सच्चे मन से,
तज सको, तो, साथ में, मेरे आ जाओ।
छल, कपट, षड्यंत्र, बदला, दुर्भावना से,
हट सको, तो, साथ में मेरे आ जाओ।
असत्य, लालसा, लिप्सा, वासना से,
रूक सको, तो, साथ में मेरे आ जाओ।
कथनी-करनी एक, बनावटीपन से मुक्त,
हो सको, तो, साथ में मेरे आ जाओ।
आलस्य, निद्रा, तंद्रा तज, कर्म पथ पर,
बढ़ सको, तो, साथ में मेरे आ जाओ।
धन, पद, यश, संबन्धों का मोह तज,
रह सको, तो, साथ में मेरे आ जाओ।
अहंकार, दुर्भावना, तज, सदभावना,
पा सको, तो, साथ में मेरे आ जाओ।
क्या इतना तज के समाज में रहा जा सकता है?
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