नारी की प्रेरणा से
डाॅ.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
नर-नारी दोनों हैं व्यक्ति।
मिलते, बन जाते हैं, शक्ति।
अलग-अलग, अस्तित्व नहीं है,
इक-दूजे की, कर लो भक्ति।
अलग-अलग, दोनों पे विपत्ति।
मिल कर, बनते हैं, दंपत्ति।
ज्ञान, शक्ति का, सृजन हैं करते,
गृह लक्ष्मी, सच्ची संपत्ति।
मिल के काल से भी लड़ जाते।
ये कष्टों में भी, मिल हरषाते।
नारी की, प्रेरणा से, ये नर,
मूरख, कालिदास बन जाते।
समानता, संघर्ष का गाना।
शक्ति बिना, शिव किसने जाना।
विष्णु के, कम, भक्त मिलेंगे,
लक्ष्मी को, हर घर ने, माना।
सरस्वती ही हैं ज्ञान खजाना।
लक्ष्मी की, पूजा करे जमाना।
प्रिया प्रेरणा पर, तुलसी ने,
राम चरित का, लिखा फसाना।
नारी ही, प्रेरणा, जन-जन की।
नारी ही शक्ति, त्रि भुवन की।
नारी बिन, नर, सदैव अधूरा।
नारी ही, संगिनी, है, हर नर की।
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