Thursday, May 21, 2020

बुद्धिमयी, सौन्दर्यमयी तू,

शक्ति स्वरूपा नारी है


                      डाॅ.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी


बुद्धिमयी, सौन्दर्यमयी तू, शक्ति स्वरूपा नारी है।
कदम-कदम आईं कठिनाई, नहीं वक्त से हारी है।।
प्रेम में समर्पण कर सकती है।
अत्याचार से लड़ सकती है।
दुस्साहसए यदिए वह कर बैठे,
विध्वंस प्रलय सा, कर सकती है।
संघर्ष करने का जीवट है, पर अपनों से ही हारी है।
बुद्धिमयी, सौन्दर्यमयी तू, शक्ति स्वरूपा नारी है।।
सृजन भाव से, घर है रचती।
स्वर्ग बने, जहाँ जाकर बसती।
प्रेमी हित, सब कुछ न्यौछावर,
षड्यंत्रों की, वह, देवी बनती।
आजीवन संघर्ष तपस्या, नहीं, किसी से हारी है।
बुद्धिमयी, सौन्दर्यमयी तू, शक्ति स्वरूपा नारी है।।
नर सदैव, आराधन करता।
रूप, तुम्हारे पर, है मरता।
कठपुतली नर, तुम हो नचातीं,
संकेतों पर वह है चलता।
नर-नारी मिल, साथ चलें, पूरी हों इच्छा सारी हैं।
बुद्धिमयी, सौन्दर्यमयी तू, शक्ति स्वरूपा नारी है।।

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