जीवन से, तुम प्यारी हो
केवल नहीं घरवाली हो।
तुम ही प्रेरक नारी हो।
संकेतों से जीवन चलता,
जीवन से, तुम प्यारी हो।
तुम प्रेम की मूरत हो।
दिल की खुबसूरत हो।
कर्तव्य पर तुम हुई निछावर,
सृष्टि की रचना न्यारी हो।
नर को शिक्षित करती हो।
पीड़ा सारी हरती हो।
प्रसव वेदना पीकर माता,
तुम सृजन की क्यारी हो।
तुम ही नेह की डोरी हो।
नयन आज क्यों? मोड़ी हो।
भले ही कितनी दूरी पर हो,
जहाँ भी हो, तुम म्हारी हो।
नहीं कोई अब दूरी हो।
तुम प्रेम से पूरी हो।
तुमरे बिन नर सदैव अधूरा,
नर बिन तुम भी अधूरी हो।
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