Wednesday, January 27, 2021

नर-नारी में भेद कभी कोई

                                               

हमने ना स्वीकारा है


      नर-नारी में भेद कभी कोई, हमने ना स्वीकारा है।

नारी नर को देवी है तो, नर नारी का प्यारा है।।

नारी नर से विलग नहीं है।

इक-दूजे की राह गही है।

नर नारी बिन जी नहीं सकता,

नारी नर की बनी मही है।

मिलकर दोनों होते पूरे, मिल कर संसार संवारा है।

नर-नारी में भेद कभी कोई, हमने ना स्वीकारा है।।

नर-नारी संबन्ध निराला।

इक-दूजे का देत हवाला।

इक-दूजे को सदैव समर्पित,

मिलकर पीते प्रेम की हाला।

मिलकर बढ़ो, सृजन के पथ पर, प्रकृति ने तुम्हें पुकारा है।

नर-नारी में भेद कभी कोई, हमने ना स्वीकारा है।।

नर की शक्ति नारी ही है।

कदम-कदम पर प्यारी ही है।

नर को प्रेरण देती है जो,

सखी सहेली नारी ही है।

जीवन के झंझावातों में, इक-दूजे का सहारा है।

नर-नारी में भेद कभी कोई, हमने ना स्वीकारा है।।

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