Thursday, May 27, 2021

चरैवेति सृष्टि की चाल है

                                                                                  

          समय कभी ना रुकता है                            


ऊपर वह ही चढ़ पाता है, समय-समय जो झुकता है।

चरैवेति सृष्टि की चाल है,  समय कभी ना रुकता है।।

खुद ही बन लो, नहीं बनाओ।

स्वयं ही समझो, ना समझाओ।

लेना नहीं,  देना चाहे  बस,

व्यर्थ की सीख, न उसे सिखाओ।

समय सदुपयोग, पल पल कर, यह ही जीवन मुक्ता है।

चरैवेति सृष्टि की चाल है,  समय कभी ना रुकता है।।

कोई भी, स्थाई मित्र नहीं है।

रंग न उड़े, कोई चित्र नहीं है।

मरना सबको, सब नश्वर हैं,

लालच, धोखा विचित्र नहीं है।

उचित समय पर, सब छूटेगा, भले ही कितना युक्ता है।

चरैवेति सृष्टि की चाल है,  समय कभी ना रुकता है।।

साथ आज जो, वही मित्र है।

प्रेम ही जीवन, प्रेम  इत्र है।

सब कुछ अपना, ना है पराया,

षड्यंत्र फिर भी, कितना विचित्र है?

समय चक्र, कभी न रुकता, व्यवस्था बनी ये पुख्ता है।

चरैवेति सृष्टि की चाल है,  समय कभी ना रुकता है।।


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