Monday, May 10, 2021

नर-नारी के एक होने से

 सृष्टि  जन्मती पलती है

            


इक-दूजे से शेयर करके, परिवार की गाड़ी चलती है।

नर-नारी के  एक होने से, सृष्टि  जन्मती पलती है।।

सहयोग समन्वय से आगे बढ़ के।

साथ-साथ  बढ़,  सीढ़ी चढ़ के।

विकास पथ पर, आगे बढ़ो मिल,

मिट जाओगे, अकेले  अढ़ के।

इक-दूजे की देखभाल कर, प्रेम भावना बढ़ती है।

नर-नारी के  एक होने से, सृष्टि  जन्मती पलती है।।

केयरिंग-शेयरिंग, सूत्र यहाँ पर।

पारिवारिक हैं,  मूल्य जहाँ पर।

प्रेम, त्याग, समर्पण, निष्ठा,

साथ में जीते, स्वर्ग वहाँ पर।

छल, धोखा, कपट भावना, परिवार में सबको खलती है।

नर-नारी के  एक होने से, सृष्टि  जन्मती पलती है।।

प्रेम से देखो, घर महकेगा।

दिखावे से तो, बस बहकेगा।

इक-दूजे हित जीना सीखो,

रोम-रोम फिर से चहकेगा।

ईष्र्या, द्वेष तज, प्रेम भाव से, सूरत घर की बदलती है।

नर-नारी के  एक होने से, सृष्टि  जन्मती पलती है।।


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