Tuesday, May 25, 2021

हाथ-थाम, जब, दोनों चलते

कोई पथ ना, इनको भारी

         
सीधा-सच्चा पथ है मेरा।
नहीं करता, मैं मेरा तेरा।
ना कोई अपना, ना है पराया,
सबका अपना-अपना घेरा।

नर-नारी का इक है डेरा।
मिलते जहाँ, वहाँ बने बसेरा।
नारी नर बिन, नहीं रह सकती,
नर, नारी का ही, है चेरा।

जीवन पथ पर पथिक हैं मिलते।
संबन्धों के, पुष्प हैं खिलते।
सह-अस्तित्व है, प्रकृति सिखाती,
संबन्धों को, प्रेम से सिलते।

आओ हम मिल, जग को सजायें।
जहाँ, मुस्काती हों, सभी फिजायें।
नर-नारी  में मैत्री  भाव हो,
ना, अपराध हो, ना हों  सजायें।

आओ देखें, हम, इक सपना।
कोई न पराया, हर है अपना।
मानवता के भाव हर उर में,
नहीं किसी को, पड़ेगा तपना।

भिन्न-भिन्न ना, नर और नारी।
वो है प्यारा,  वो है प्यारी।
इक-दूजे के हित हम जीते,
नारी नहीं है, नर से न्यारी।

नहीं किसी की, कोई बारी।
इक-दूजे की संपत्ति सारी।
हाथ-थाम, जब, दोनों चलते,
कोई पथ ना, इनको भारी।

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.