Friday, May 28, 2021

साथ चाहा था, हर पल तुमने,

  किंतु साथ हम रह न सके

                

हम प्यार करते हैं, कितना! कभी किसी से कह न सके।

साथ चाहा था, हर पल तुमने, किंतु साथ हम रह न सके।।

हम भी तड़पे, तुम भी तड़पी।

अलग हुए, तुम किसी ने हड़पी।

तुमने उस पर विश्वास किया,

इधर भी तड़पी, उधर भी तड़पी।

हम थे तुम्हारा विकास चाहते, प्रेम का मार्ग दिखा न सके।

साथ चाहा था, हर पल तुमने, किंतु साथ हम रह न सके।।

जिस पथ पर तुम हमें मिलीं थीं।

पड़ी हुई, अधकुचली कली थीं।

हम भी, यूँ ही, भटक रहे थे,

हम भी सँभले, तुम भी खिलीं थीं।

पथ था रोका, तुमने हमारा, किंतु हाय! हम रुक न सके।

साथ चाहा था, हर पल तुमने, किंतु साथ हम रह न सके।।

पथ कठिन, तुम चलतीं कैसे?

मेरे साथ, तुम रहतीं कैसे?

तुमको, सबको, अच्छा था दिखना,

सच के पथ पर, चलतीं कैसे?

कटु सत्य कह देते हैं हम, प्रेम गान कभी हम, गा न सके।

साथ चाहा था, हर पल तुमने, किंतु साथ हम रह न सके।।

तुमने सब कुछ सौंपा था हमको।

मैं न दे सका, कुछ भी तुमको।

चन्द क्षणों को, मिले भले ही,

विछड़न पीड़ा,  अब भी हमको।

प्रेम नहीं है, किसी से हमको, दिल से तुम्हें, मिटा न सके।

साथ चाहा था, हर पल तुमने, किंतु साथ हम रह न सके।।


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