Sunday, March 14, 2021

उठकर आगे, बढ़ेंगे फिर से

 गलती से, यदि हम फिसलेंगे

                   


हम अपनी ही राह चलेंगे।

सुविधाओं को ना मचलेंगे।

उठकर आगे, बढ़ेंगे फिर से,

गलती से, यदि हम फिसलेंगे।


धोखे अब तक बहुत ही खाये।

सच के गान हैं, फिर भी गाये।

हमने सब कुछ सौंप दिया था,

तुमने छल के तीर चलाये।


नारी का सम्मान है करते।

नहीं किसी का मान है हरते।

सहयोग करते कदम कदम पर,

लेकिन धोखा, नहीं, सह सकते।


नारी विशेष है, हम हैं मानते।

डरते हैं, नहीं, रार ठानते।

कर्म प्रधान है, जग में भाई,

लिंग भेद नहीं, कर्म मानते।


कोई न अपना, ना कोई पराया।

झूठ जो बोला, वो ठुकराया।

धन, पद, यश, संबन्ध न बाँधें,

सहयोग दिया, पर साथ न पाया।


नहीं रूप की, चाह हमें है।

ना ही, धन की आह हमें है।

ज्ञानवान की चाह नहीं है,

पारदर्शी की चाह हमें है।


सच बोले, ऐसा मित्र चाहते।

मुक्त भाव, माहोल चाहते।

मन की कहे, मन की सुन ले,

ऐसा बस एक साथ चाहते।


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