नारी के अरमान
नहीं चाहिए, दुआ किसी की, नहीं देवी का मान है।
जन्मने दो, शिक्षित होने दो, नारी के अरमान हैं।।
सहायता नहीं, सहयोग चाहिए।
नहीं कोई, हमें आन चाहिए।
पथ अपना हम, खुद चुन लेंगी,
नहीं कोई, व्यवधान चाहिए।
हमको क्या सुरक्षा दोगे? खतरों में तुम्हारी जान है।
जन्मने दो, शिक्षित होने दो, नारी के अरमान हैं।।
सुरक्षा के नाम, हमें ना बाँधो।
षड्यंत्रों से, हित ना साधो।
शिक्षा, चिकित्सा, रक्षा हम करें,
घर में बैठो, माटी के माधो।
घरवाली बन, घर था, चलाया, बढ़ायें देश की शान है।
जन्मने दो, शिक्षित होने दो, नारी के अरमान हैं।।
देवी की पूजा, नाटक करते।
प्राण हमारे, गर्भ में हरते।
जन्मने दो, ना पाप करो नर,
हमसे क्यों? तुम इतना डरते।
हाथ थाम, मिल साथ चलें, गायें विकास के गान हैं।
जन्मने दो, शिक्षित होने दो, नारी के अरमान हैं।।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१३-०३-२०२१) को 'क्या भूलूँ - क्या याद करूँ'(चर्चा अंक- ४००४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१३-०३-२०२१) को 'क्या भूलूँ - क्या याद करूँ'(चर्चा अंक- ४००४) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबस सहयोग की अभिलाषा
ReplyDeleteनारी के मन में एक नई आशा ।
सूबेदार रचना
बस सहयोग की अभिलाषा
ReplyDeleteनारी के मन में नई आशा
सुंदर रचना
सुंदर सार्थक सृजन।
ReplyDeleteनारी के उद्गार।
कविता में अभिव्यक्त विचार स्तुत्य हैं । शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन - -
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