जन-गण की शान
स्वच्छता नहीं है नारा केवल, यह जग-गण की शान है।
स्वच्छता बनेगी जीवन शैली, बढ़े भारत का मान है।।
गली-गली हम स्वच्छ करेंगे;
तन-मन सबके स्वच्छ करेंगे।
अर्थव्यवस्था स्वच्छ हो रही,
कैश लैस सब स्वच्छ करेंगे।
साफ करें आतंक का कूड़ा, गा के प्रेम के गान हैं।
स्वच्छता नहीं है नारा केवल, यह जग-गण की शान है।।
स्कूलों को स्वच्छ रखेंगे;
बाजार भी सब चमकेंगे।
शिक्षक बढ़कर उठायें झाड़ू,
शिक्षार्थी सब स्वच्छ रखेंगे।
स्वच्छता है स्वास्थ्य की रक्षक, यह जन-जन की जान है।
स्वच्छता नहीं है नारा केवल, यह जग-गण की शान है।।
राष्ट्रप्रेमी अब स्वच्छ करो सब;
आतंक से सीमा स्वच्छ करो अब।
कानूनों के ढेर स्वच्छ हों,
राजनीति को स्वच्छ करो जब।
स्वच्छ, स्वस्थ, समृद्ध राष्ट्र हो, कर स्वच्छ वायु का पान है।
स्वच्छता नहीं है नारा केवल, यह जग-गण की शान है।।
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