Sunday, July 16, 2017

दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-११

भारत में नारी के शोषण के नाम पर महिलाओं के पक्ष में कानून बनने के कारण वर्तमान में कानूनों का दुरूपयोग कर कुछ चरित्रहीन महिला अपनी चरित्रहीनता को उन कानूनों का दुरूपयोग कर छिपाना चाहती हैं। कुछ के लिए तो शादी पति व पति के परिवार से रूपये ऐठने का अच्छा साधन बन गया है। जैसे-तैसे किसी अच्छी कमाई करने वाले या अच्छी जायदाद वाले को धोखा देकर एक बार शादी की रस्म पूरी करवा लो फिर तो दहेज के मुकद्में की धमकी देकर या मुकदमा करके अच्छी खासी रकम हासिल करो। कमाल की बात है, लड़की वाले लड़की की पढ़ाई पर अधिक खर्च करना नहीं चाहते! लड़की व लड़के की समानता की बात लड़की के पिता या भाई को अपनी पारिवारिक सम्पत्ति में से हिस्सा देने में याद नहीं आती। पिता की संपत्ति में लड़की बराबर की हकदार है। यह कानून किसी को याद नहीं आता। लड़की को उसके पिता के घर में न तो भागीदारी मिलती है और न ही सम्मान! किंतु कुछ घण्टों की शादी की रस्म पूरी होते ही, लड़की को उस घर की मालकिन बन जाना चाहिए। लड़के के माता-पिता या घरवालों की उपस्थिति भी आजकल की महिलाओं को खटकती है। संपत्ति में से उत्तराधिकार के मामले में भाई बहिन समान नहीं है। वहाँ माता-पिता को कानून याद नहीं आता। धोखा देकर झूठ बोलकर शादी की रस्म एक बार पूरी हो जाय। उसके बाद लड़के व लड़के के परिवार वालों को नाकों चने चबबाने के लिए दहेज एक्ट है ही। वास्तव में कानून ब्लेकमेल करके धन ऐंठने का साधन बन गये हैं। यह बात मनोज के समझ में आने लगी थी। यह सब समझते हुए भी मनोज सकारात्मक सोचने वाला व्यक्ति था। अतः उसका सोचना यह भी था कि दुनिया में सभी लोग समान नही होते। अच्छे लोग बुरे लोगों की अपेक्षा अधिक है। कुछ लोग अपने कुकर्मो के कारण सभी को बदनाम करते हैं। यात्रा में सभी लोग तो जेब कट नहीं होते। कुछ घटनाएं होती हैं किंतु उनके कारण हम बाहर निकलना बन्द तो नहीं कर सकते? यही सोचकर विभिन्न प्रकार के भय व संसय होते हुए भी मनोज वेबसाइटों के माध्यम से साथी की खोज करता रहा।

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