Monday, February 1, 2016

कुचल बढ़ी, क्या आपकी भूल!

08.23.2007
सैकड़ों दुनियाँ में खिलते हैं फूल

कुचले जाते और बनते धूल

हम भी आपके पथ में आए,

कुचल बढ़ी, क्या आपकी भूल! 

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