Shuchi Bhavi Shuchi ने 2 नई फ़ोटो को जोड़ा.
29.11.15
प्रेम नहीं होता सबका,,,,,
हाँ डरती हूँ बहुत आज भी
मुखोटों से
बचपन में डरी थी न
जब खेल खेल में भूत का मुखोटा
पहना था सहेली ने
कई दिनों का डर
आज भी है न साथ
जब किसी दोस्त का मुखोटा उतरा
डरी कई वर्ष दोस्ती से
जब किसी साथी का मुखोटा उतरा
डरी हर साथ से फिर
डर न जाने प्रेम को किस
तहखाने बन्द कर आया
अचानक वो तहखाने तोड़
प्रेम गिरहें खोल भाग आया
मैं भी हो ली थी उसके संग
चली उड़ी तैरी भी
रंग गयी थी उसके रंग
पर सिर्फ आधा कदम
के प्रेम भी था मुखोटा धारी
मैं फिर डर के आगे हारी
अकेली थी
अकेली ही रही
सोचती
काश मुखोटे न होते
या
न होता डर,,,,,,
शुचि(भवि)
मुखोटों से
बचपन में डरी थी न
जब खेल खेल में भूत का मुखोटा
पहना था सहेली ने
कई दिनों का डर
आज भी है न साथ
जब किसी दोस्त का मुखोटा उतरा
डरी कई वर्ष दोस्ती से
जब किसी साथी का मुखोटा उतरा
डरी हर साथ से फिर
डर न जाने प्रेम को किस
तहखाने बन्द कर आया
अचानक वो तहखाने तोड़
प्रेम गिरहें खोल भाग आया
मैं भी हो ली थी उसके संग
चली उड़ी तैरी भी
रंग गयी थी उसके रंग
पर सिर्फ आधा कदम
के प्रेम भी था मुखोटा धारी
मैं फिर डर के आगे हारी
अकेली थी
अकेली ही रही
सोचती
काश मुखोटे न होते
या
न होता डर,,,,,,
शुचि(भवि)
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