जीते ही नहीं आनन्द से हैं, मेहरबानी आपकी है।
शहनाइयों की चाह नहीं, बस कद्रदानी आपकी है।
काम में डुबा लिया है अब,यह रोशनाई आपकी है।
प्रेम का क्या हस्र होता, यह सिखावट आपकी है।
आपको कैसे भूल सकते, आपही हमराज अपनी।
आप तो हिय में विराजीं, आपही सरताज अपनी।
आपने ही है सिखाया, चलते रहना ही जिन्दगी है,
आप अब भी अन्दर विराजीं, आपही हमराह अपनी।
शहनाइयों की चाह नहीं, बस कद्रदानी आपकी है।
काम में डुबा लिया है अब,यह रोशनाई आपकी है।
प्रेम का क्या हस्र होता, यह सिखावट आपकी है।
आपको कैसे भूल सकते, आपही हमराज अपनी।
आप तो हिय में विराजीं, आपही सरताज अपनी।
आपने ही है सिखाया, चलते रहना ही जिन्दगी है,
आप अब भी अन्दर विराजीं, आपही हमराह अपनी।
साधारण से दिखने वाले शब्द कब भीतर गहराई तक आत्मा को झंझोर देते है पता ही नहीं चलता है
ReplyDeleteरौशनी