सरकारी कर्मचारी
रिश्वत लेते कर्मचारी को,
अधिकारी ने पकडा
पहले तो जा जकड़ा,
फिर चिल्लाकर कहा
बेईमान रिश्वत लेता है,
हमको कुछ नहीं देता है,
कार्ड लिया झटक
लिखने लगे रपट
पहले नाम और पता लिखाया
तारीख तीस थी तीस हजार पकडाया
अधिकारी थोडा सकुचाया,
थोड़ा मुस्काया बोला,
पहले क्यों नहीं बताया?
बेकार में इतना सताया
राष्ट्रप्रेमी राष्ट्रकार्य करो,
हिचकिचाना नहीं,
सरकारी आदमी होकर,
सरकार से सकुचाना नहीं।
उपरोक्त रचना में आपने सरकारी कर्मचारियों का सजीव चित्रण किया है , बधाई !
ReplyDeleteआज बहुत दिन बाद आपके ब्लाग पर आया, अपना नाम यहाँ देख कर एक सुखद आश्चर्य हुआ, साथ ही यह भी, कि आप औरों से भिन्न हैं ! यहाँ तो सब अपने अपने नाम को आगे बढ़ाने के प्रयत्न में लगे हैं ! आप जैसा विद्वान मेरे जैसे नौसिखिये ब्लागर को भी सम्मान देने का प्रयत्न कर रहा है ! मुझे आपके ब्लाग पर अपने विचार देने से सम्मान ही मिलेगा तथा सदा तत्पर रहूँगा !
आपका प्रोफाइल देख कर लगता है मैं अपने बारे में पढ़ रहा हूँ , निश्चय ही बहुत कम लोग आपको समझ पाते होंगे !
सादर शुभकामनायें !
धन्यवाद सतीश जी, देश को विद्वानोँ की नही काम करने वालो की आवश्यकता है. आप 27 मई का आलेख सुरसा के मुह की तरह बढ्ते वेतन व भत्ते पढिये. कभी-कभी rashtrapremi.mywebdunia.com par bhi dekheyegaa.
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