मन्दिर
चुनाव का समय,
निकट आया
परिषद को राम नाम भाया
कुछ भी हो
वह राम नाम जाप करायेगी
वोट बैंक बढ़ायेगी
राष्ट्र रहे न रहे
मन्दिर वहीं बनायेगी।
"मुझे संसार से मधुर व्यवहार करने का समय नहीं है, मधुर बनने का प्रत्येक प्रयत्न मुझे कपटी बनाता है." -विवेकानन्द
मन्दिर
चुनाव का समय,
निकट आया
परिषद को राम नाम भाया
कुछ भी हो
वह राम नाम जाप करायेगी
वोट बैंक बढ़ायेगी
राष्ट्र रहे न रहे
मन्दिर वहीं बनायेगी।
दी पोत्सव की रात में , मन का दीप जलाय। ज्ञान ज्योति आलोक दे , सत की राह दिखाय। । दीपों की रोशनी से , जगमग हो संसार। अंधकार...
"स्वतन्त्र भारत में नारी को मिले वैधानिक अधिकारों की कमी नहीं- अधिकार ही अधिकार मिले हैं, परन्तु कितनी नारियां हैं जो अपने अधिकारों का सुख भोग पाती हैं? आप अपने कर्तव्यों के बल पर अधिकार अर्जित कीजिए। कर्तव्य और अधिकार दोनों का सदुपयोग कर आप व्यक्ति बन सकती हैं। आपको अपने कर्तव्यों का भान है तो कोई पुरुष आपको भोग्या नहीं बना सकता-व्यक्ति मानकर सम्मान ही करेगा। इसी तरह आने वाली पीढ़ी आपकी ऋणी रहेगी।"
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ReplyDeletehttp://satish-saxena.blogspot.com/2008/05/blog-post_25.html