आपका हंसता हुआ वो चेहरा याद आता है,
होठों का मुस्काता गुलाब, अब भी याद आता है।
मधुरता लिए हुए वो गुस्सा था कितना मनोहर,
नयनों में बसा वो प्रेम, अब भी याद आता है।
मुस्कराने की वो अदा, वो ढलती हुई जवानी,
इंकार में छिपा आमंत्रण, अब भी याद आता है।
कुछ भी करने की चाहत, वो संदेहों के घेरे,
साथ निभाने का वायदा, अब भी याद आता है।
अविश्वास भरा विश्वास, सन्देह भरा समर्पण,
लोक-भय भरा आलिंगन, अब भी याद आता है।
सुंदर शब्द चित्रण !
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