Friday, July 31, 2020

कोरोना के काल में


कोरोना के काल में, आवागमन है बन्द।

मंद-मंद जीवन चले, बाजार हुए है मंद।।


घर सबको अच्छा लगे, घर में बैठे धाय।

घर तब तक ही चलत है, बाहर से कुछ आय।।


लाॅकडाउन ने किया, सबको घर में बंद।

कुछ तो मस्ती लेत हैं, कुछ धंधे बिन अंध।।


वाइरसों का कहर है, दी है गहरी मार।

अमरीका से देश का, कर दिया बंटा ढार।।


मिलते-जुलते प्रेम से, रहते पल पल पास।

दूर-दूर रहने लगे, जीवन कितना खास।।


दूर-दूर हम रह रहे, पास न कोई मीत।

कोरोना ने सीख दी, दूर रहे से जीत।।


स्वागत सबका था कभी, खुला हुआ था द्वार।

हाथ दूर से, जोड़ते, इधर न आना यार।।


अभिवादन की रीत थी, खुल मिलते थे हाथ।

गले लगाना भूलकर, भूल चूमना माथ।।


मिट जाएं सब दूरियां, करते थे अरदास।

दूर-दूर अब करत हैं, खुद ना खुद के पास।।


चाहत को चाहत नहीं, चाहत रहे उदास।

प्रेम प्रेम से कहत हैं, भूल न आना पास।।


कोरोना का काल है, काल लगत है पास।

आओ बस घर में रहें, दबा मिलन की आस।।


कोरोना प्रेमी घणा, मिलत गुणत ये होत।

अंधेरा घर में करे, बुझा प्राण की जोत।।

साफ-सफाई जो रखें, खुद ही रहते दूर।

प्रेरक हम सबके बनें, जीते हैं भर पूर।।


आत्म हत्या, तुम ना करो, चलो न इतने पास।

दूर-दूर से प्रेम कर, बन जाओ तुम खास।।


आया है, सो जाएगा, तुम ना रहो, उदास।

कोरोना का काल भी, आएगा उसके पास।।


पढ़ो-लिखो, आगे बढ़ो, दूर-दूर रख गात।

दिल से दिल की बात कर, मोबाइल पर तात।।


कोरोना की चाल है, हमरे हाथ में मित्र।

साबुन से मर जात है, प्राणी बड़ा विचित्र।।

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