नहीं कोई, गन्तव्य निर्धारित, पथिक हैं, पथ पर जाना है। चंद कदम है, मिला साथ बस, साथी! साथ निभाना है।। जात-पाँत, कोई, भेद नहीं है। धोखा खाया, हमें, खेद नहीं है। पथ की धूल, कभी, गयी न लूटी, प्रेम तुम्हारा, कभी, ध्येय नहीं है। आघात किया, अब, साथी जाओ, घायल ही हमें जाना है। चंद कदम है, मिला साथ बस, साथी! साथ निभाना है।। पथ है, पथिक, पाथेय नहीं है। पथ में, पथिक, कुछ हेय नहीं है। पथ में, साथी, मिलें, आकर्षण, पथ के सिवा, कोई ध्येय नहीं है। जीवन-नद, जल प्लावन झेले, जल को बहते जाना है। चंद कदम है, मिला साथ बस, साथी! साथ निभाना है।। नारी हो, पर, सदय नहीं हो। बुद्धि हो, पर, हृदय नहीं हो। कानूनों में, प्रेम न पलता, भय देतीं, तुम, अभय नहीं हो। नारीत्व बिन, नारी कैसी? नर को, जिसे फंसाना है। चंद कदम है, मिला साथ बस, साथी! साथ निभाना है।। हम पथिक, निज पथ है जाना। सच है साथी, पथ, प्रेम है गाना। धन-धान्य से, खुशी रहो तुम, याद न करना, ना पछताना। राह में राही, हमें जो मिलता, हमने, साथी माना है। चंद कदम है, मिला साथ बस, साथी! साथ निभाना है।।
“दिल की टेढ़ी-मेढ़ी राहें”
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रोहन एक सफल व्यवसायी था, जो अपने काम में इतना व्यस्त था कि उसे अपने जीवन
में प्रेम की कमी महसूस नहीं होती थी। प्रेम तो क्या रोहन के पास सुख-दुख की
अनुभूति ...
2 weeks ago

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