Sunday, January 11, 2015

हम प्रतीक्षा कर रहे प्रिय, क्या इरादे आपके हैं?

आपके बिना यह दुनियाँ कैसी? हम दुनियाँ को भूल गए।
जीवन में हों, कलियाँ कैसी? हम कलियों को भूल गए।
आपने हमको फेंका उर से, हमने आपको बसा लिया है,
 तन्हाई का राज ये कैसा? हम अपने आप को भूल गए।


हमारे हिय की ये तड़पन ही हमको हरदम बता रही है।
प्रिये! आपको याद हमारी, देखो हर पल सता रही है।
क्यों अपने को पीड़ित करतीं? जिद कर उर को दबा रही हो,
हम यादों में यहाँ हैं जीते, अपने को आप क्यों भुला रही हो?


चाह हमें कभी न थी प्रिय, देह आपकी, पा जाएं।
वक्ष पर, ताले जड़े दो, मसल तोड़, हिय में समाएं।
थिरकती मुस्कान लवों पर, वो अदाए देख पायें,
दिल हमारा कुचल कर भी, आप हमेशा मुस्करायें।

आपको ना पा सके हम, हम तो हर पल आपके हैं।
गले लगे तब आपके थे, ठुकराये हुए भी आपके हैं।
मन में आये सितम ढाओ, मन में आए मुस्कराओ,
हम प्रतीक्षा कर रहे प्रिय, क्या इरादे आपके हैं?

No comments:

Post a Comment

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.