४-३-२००७
छत्तीस के हम हो चुके, आप अड़तीस की हो जायेंगी।
बच्चों जैसी जिद से लेकिन, आप मुक्त कब हो पायेंगी।
प्यार का सागर दिखाया, आज गुस्सा किसलिए इतना लुटाया?
जबाब देने की आदत नहीं, रात देखो ख्वाब में आ जायेंगी।
हमारे जन्म दिन पर आपने, था कार्ड भेजा था कभी।
फोन पर घंटी बजाकर, आपने मुबारक दे दीं अभी।
दूरियाँ तो तन की केवल, मन से मेरे पास हर पल,
बार-बार यही कामनाएँ, आपकी, पूरी हों इच्छा सभी।
छत्तीस के हम हो चुके, आप अड़तीस की हो जायेंगी।
बच्चों जैसी जिद से लेकिन, आप मुक्त कब हो पायेंगी।
प्यार का सागर दिखाया, आज गुस्सा किसलिए इतना लुटाया?
जबाब देने की आदत नहीं, रात देखो ख्वाब में आ जायेंगी।
हमारे जन्म दिन पर आपने, था कार्ड भेजा था कभी।
फोन पर घंटी बजाकर, आपने मुबारक दे दीं अभी।
दूरियाँ तो तन की केवल, मन से मेरे पास हर पल,
बार-बार यही कामनाएँ, आपकी, पूरी हों इच्छा सभी।
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