Tuesday, October 28, 2014

मैं तो पिया से मिलन गई रे।

3.10.07

तुम्हारा गीत

मैं तो पिया से मिलन गई रे।
मैं तो पिया की बाँहों में झूली
तन से हर्षित मन से फूली
रोम-रोम में बस गए प्रियतम्
उनकी खातिर चढ़ जाऊँ शूली।

सब संशयों से पार भई रे।
मैं तो पिया से मिलन गई रे।
जब प्रियतम् ने गले लगाया
प्यार का अर्थ समझ में आया
जिम्मेदारी सभी निभाऊँ,
मिल जाए बस प्रिय का साया
तन-मन से पिया की भई रे।
मैं तो पिया से मिलन गई रे।

पिया ने अमृत मुझे पिलाया
जीवन क्या? अहसास कराया
मुझ पगली को बाँहों में लेके
जीवन पथ पर साथ चलाया
पिया के रंग में रंग गई रे।
मैं तो पिया से मिलन गई रे।

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