Friday, October 24, 2014

हर त्योहार समर्पित तुझको

3.04.07
तुम्हें तुम्हारे रंग मिल जाएँ, हमने है रंगो को छोड़ा।
सारे रिश्ते तुम्हें मुबारक, अन्दर हो तुम, सबको छोड़ा।
तुम सारी खुशियों से जी लो, हम जी लेंगे थोड़ा-थोड़ा।
तन से भले ही दूर रहो तुम, मन ने नहीं है रिश्ता तोड़ा।

हर त्योहार  समर्पित तुझको, तुझको समर्पित है यह मन।
हर पल चिन्तन समर्पित तुझको, तुझको समर्पित है हर गायन।
 दिन ही नहीं, हर निशा समर्पित, तुझको समर्पित है हर लाइन।
जीवन के सब रंग समर्पित, तुझको समर्पित काया कण-कण।

होली की रंगीनी से तुम, रंग डालो अपने प्रियतम को।
होली की अग्नि से तुम, चमकाओ निज अन्तरतम को।
होली की कामना हैं प्यारी, पा जाओ जो सुन्दरतम् हो।
होली की जो प्यास तुम्हारी, शीघ्र बनेगी पावनतम् हो।

कविता नहीं यह पत्र साथ ही।
लिखो नहीं कुछ करो बात ही।
भूल जाओ तुम, हम नहीं भूलें,
जहाँ जायँ हम, रहो साथ ही।

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