4.2.2007
कैसे?
आपकी याद में,
उदासी के साथ
हो रहे होते प्रसन्न
कैसे?
सह रहे होते
मीठा-मीठा
जुदाई का दर्द
गर्मियों में भी
तन नहीं होता सर्द
शायद हमारा भी
कोई होता हमदर्द
किन्तु कैसे?
होती आपके अहम की सन्तुष्टि
प्राप्त करके फेंकने की तुष्टि
ठुकराने की पुष्टि.
कैसे ?
खेल पातीं
आप प्रेम का खेल.
कैसे होता
प्रिये!
आपका अपने पिया से मेल!
यदि नहीं होती
हमारी आपकी मुलाकात
नहीं रहे होते
कुछ दिनों
हम साथ-साथ
नहीं डाले होते
हाथों में हाथ!
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