Wednesday, June 4, 2008

अभागी देवी

अभागी देवी
आज जगदेव पूरी तरह निराश हो गया था। उसने मुकदमों के सारे कागजातों को फाड़कर हीटर पर डाल दिया। उसके धैर्य का बांध टूट चुका था। उसकी पत्नी रमा अन्दर बैठी रो रही थी। अभी मुश्किल से पांच वर्ष ही तो हुए होंगे शशी की शादी को। शशी रमा के एकमात्र पुत्री थी। उसके एक भाई था दिलीप, वह शशी से छोटा था। शशी को अपने माता एवं पिता का अपार प्यार मिला था। शशी के पिता ने शशी की शशी की शादी पर क्या नहीं दिया था ? शशी की शादी में अपना सारा धन खर्च कर दिया था। अपनी पुत्री की खुशी के लिये। वे यह नहीं जानते थे कि दहेज दहेज की भूख कभी शान्त नहीं होती। शशी जब पहली बार ससुराल से आयी तभी उसे कोई प्रसन्न नहीं देख पाया इसका एकमात्र कारण था शशी की उपेक्षा। ससुराल से दस हजार रूपये की मांग की गयी थी। जगदेव ने शशी की खुशी का ख्याल रखकर कर्ज लेकर ससुराल की मांग पूरी की तथा उसे ससुराल विदा किया। किन्तु ससुराल में उसे फिर भी प्यार नहीं मिला । छह महीने बाद शशी के हाथ द्वारा लिखा पत्र आया कि यहाँ पर मुझे बहुत परेशान किया जा रहा है। मुझ से यह पत्र जबरदस्ती लिखवाया जा रहा है कि मै मोटर साइकिल की मांग करूँ । इसके बाद पांच पत्र और आये तरह-तरह की धमकियां भरे। और छठंवा पत्र आया था शशी के पति द्वारा लिखित जिसमें शशी की मौत की सूचना दी थी। सूचना शशी की लाश जलाने के बाद दी गयी थी। बताया गया था कि उसने फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली। जगदेव ने वहाँ जाकर सारा वाकया जानना चाहा तो पड़ोसियों ने बताया कि शशी ने बहुत शोर मचाया था किन्तु उन्हें उसके पास तक शशी के ससुर ने नहीं जाने दिया था। मामला स्पष्ट आत्महत्या का न होकर हत्या का था। किन्तु कोई गवाह तैयार नहीं था। जगदेव ने पूरे चार साल तक मुकदमा लड़ा किन्तु न्याय नहीं मिला। आज उसका धैर्य टूट चुका था। उसके हृदय से एक ही बात निकल रही थी कि क्यों ? जन्म लेती है भारत में अभागी देवी ! क्यों यहाँ के देवताओं में समझ नहीं आता? देवियों के बिना इनका अस्तित्व संभव ही नहीं है। क्यों देवियों को उनकी पैतृक सम्पत्ति में अधिकार नही दिया जाता ताकि उनको किसी दान-दहेज की आवश्यकता ही न रहे और उन्हें किसी को दान में दिये जाने वाली वस्तु न बनना पड़े।

1 comment:

  1. दहेज वास्तव में भारत की गंभीर समस्या है।

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