Saturday, May 21, 2016

संन्यास का अर्थ नहीं, दुनिया तज दी जाय

संकल्पों के त्याग की, चोटें गहरी होत।

आत्मबल जाता रहे, दिखते केवल खोट॥


जीना मुश्किल है बड़ा, आदर्शों का साथ।

अपने भी हैं छोड़ते, पकड़ झूठ का हाथ॥


संन्यासी का धर्म है, कर न किसी से आश।

नित्य ईश का काम कर, नहीं किसी का ह्रास॥


न्यास अर्थ विश्वास है, सम का अर्थ समान।

ईश सृजित यह सृष्टि है, संन्यासी को समान॥



संन्यास का अर्थ नहीं, दुनिया तज दी जाय।

समाज हित में न्यास हो, सच पर चलता जाय॥

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