आप हैं विदुषी,
पढ़ी लिखी हैं
कुछ समझी हैं
कुछ बहकी हैं
कुछ डरी हैं
तसलीमा को
जरा पढ़ो तुम
अमृता प्रीतम को भी
निहारो
अपना फिर से
आकलन करो तो
शायद समझो
पुनः विचारो
स्वतंत्रता
समानता
की कीमत
चुकानी ही पड़ती है
हर तरह की
जोखिम लेने वाली
महिला ही
प्रेम के पथ
आगे बढ़ती है।
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