बेशर्म बसन्त
डॉ.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
बेशर्म बसन्त,
फिर आ गया तू
अकेला
क्या?
भूल गया
मैंने कितनी बार
लौटाया है तुझे
इस दरवाजे से
कितनी बार?
बताया है तुझे
घर पर नहीं हैं पिया,
अकेले,
किसी के स्वागत को,
करता न मेरा जिया
लगता है डर,
कांपता है दिल,
रोजगार की खातिर
परदेश में हैं कन्त
मेरे दुखों का है न अन्त
यदि,
चाहता है तू
मुझे सुख पहुंचाना
पिया को साथ लेकर,
मेरे घर आना।
समय की एजेंसी-34
-
*अच्छी उत्पादकताः*
*समय के संदर्भ में कार्य प्रबंधन के अन्तर्गत प्रबंधन की तकनीकों के आधार पर
समय का आवंटन किया जाता है। प्रत्येक कार्य का व्यापक अध्य...
3 hours ago
बहुत सुन्दर!
ReplyDelete