नचा रहा है फागुन
अबीर गुलाल उड़ाता आ रहा है फागुन
कितना प्यारा बसन्त ला रहा है फागुन
बाग बगीचे वाटिकाएं सभी लगते हैं रंगीले
जमीन पर आसमान पर छा रहा है फागुन
चहुं ओर है प्यार पावन होली के आने पर
उर-उर के तार झनका रहा है फागुन
नृत्य करती प्रकृति झूम कर चहुं ओर
गांव-गांव, जंगल-जंगल छा रहा है फागुन
कोयल करती शोर ,कैसा? नांच रहा है मोर
बाल-युवा-वृद्ध सबको, नचा रहा है फागुन
रंगो में हैं मस्त, बाल किशोर युवा और प्रौढ़,
कण-कण में अमृत रस झलका रहा है फागुन।
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पर एक प्राथमिक अध्यापक के उद्गार
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जितेन्द्र कुमार गौड़
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2 days ago
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
ReplyDeleteआपको तथा आपके परिवार को होली की ढेरो शुभकामनाएं।