Monday, February 8, 2010

हलन्त



                      डॉ.सन्तोष  गौड़ राष्ट्रप्रेमी



कैसे?


मनाऊं बसन्त


विदेश में कन्त


न वियोग का अन्त


न जाने कहां?


भटकते होंगे पिया


जबसे हुए हैं सन्त


अधूरी हूं मैं


लगा है हलन्त!

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