हलन्त
डॉ.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
कैसे?
मनाऊं बसन्त
विदेश में कन्त
न वियोग का अन्त
न जाने कहां?
भटकते होंगे पिया
जबसे हुए हैं सन्त
अधूरी हूं मैं
लगा है हलन्त!
समय की एजेंसी-18
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समय का नहीं, स्वयं का प्रबंधन
*हम यह भली प्रकार समझ चुके हैं कि समय का प्रबंधन संभव नहीं है। समय को
रोकना, उसका भण्डारण करना या उसका क्रय-विक्रय संभव न होने...
6 months ago
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