हलन्त
डॉ.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
कैसे?
मनाऊं बसन्त
विदेश में कन्त
न वियोग का अन्त
न जाने कहां?
भटकते होंगे पिया
जबसे हुए हैं सन्त
अधूरी हूं मैं
लगा है हलन्त!
कैसा प्यार?
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डॉ.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी रोते-रोते नेहा का बुरा हाल था। वह स्वयं भी
नहीं समझ पा रही थी कि आज उसे इतना रोना क्यों आ रहा है? समस्याएँ तो वह बचपन
से ही झ...
3 weeks ago
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