दस्तक
डॉ.सन्तोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
फटे हुए चिथड़े
पहनकर
बीती है सर्दी
आंसुओं की धार पीकर
बीती है सर्दी
पिया के सपने
लेकर
बीती है सर्दी
लम्बी काली रातें
जागकर
बीती है सर्दी
कम्पन,ठिठुरन,
जकड़न में
बीती है सर्दी
न लौटे कन्त
बड़े बेदर्दी
दस्तक दे ले बसन्त
समझ गई मैं
सर्दी का हुआ अन्त
किन्तु दरवाजा न खुलेगा
जब तक
आयेंगे न मेरे कन्त!
युवा दिवस के रूप में विवेकानन्द जयन्ती
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आज १२ जनवरी है, स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती। भारत अनादिकाल से ही ऋषियों और
सन्तों की भूमि रहा है। सन्तों के प्रभाव के कारण ही भारत में भौतिकवाद की
अपेक्...
3 days ago
अमिट इंतज़ार...
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