Sunday, October 12, 2008

दूरियां

दूरियां


वैश्वीकरण ने आज मिटा दी, भौगोलिक दूरियां ।

परिवहन और संचार से, मिट गईं सब दूरियां ।

भौतिक विकास कब मिटा सका, दो दिलों की दूरियां ।

जाति, धर्म विचार की भी, बढ़ रहीं नित दूरियां ।

शिक्षित इंसान की, इंसान से, बढ़ रहीं क्यों दूरियां ?

प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा है, और नर-नारी में दूरियां ।

पास-पास रहकर भी देखो, पसरी हुई क्यों दूरियां ?

दूरियां ही दूरियां हैं, इंसान की मजबूरियां ।


हर दिल में खिलें पुष्प, लता फैलें चहुं ओर,

सुगंध व्यापे कण-कण , मिट जायें सब दूरियां ।

1 comment:

  1. एक अध्यापक को एक प्राइमरी के मास्टर का नमस्कार!

    वैश्वीकरण ने हमें फायदे तो दिलाये आर्थिक पर साहित्यिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में हमें बहुत बड़ी चोट पहुचाई है/

    ReplyDelete

आप यहां पधारे धन्यवाद. अपने आगमन की निशानी के रूप में अपनी टिप्पणी छोड़े, ब्लोग के बारे में अपने विचारों से अवगत करावें.