दूरियां
वैश्वीकरण ने आज मिटा दी, भौगोलिक दूरियां ।
परिवहन और संचार से, मिट गईं सब दूरियां ।
भौतिक विकास कब मिटा सका, दो दिलों की दूरियां ।
जाति, धर्म विचार की भी, बढ़ रहीं नित दूरियां ।
शिक्षित इंसान की, इंसान से, बढ़ रहीं क्यों दूरियां ?
प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा है, और नर-नारी में दूरियां ।
पास-पास रहकर भी देखो, पसरी हुई क्यों दूरियां ?
दूरियां ही दूरियां हैं, इंसान की मजबूरियां ।
हर दिल में खिलें पुष्प, लता फैलें चहुं ओर,
सुगंध व्यापे कण-कण , मिट जायें सब दूरियां ।
एक अध्यापक को एक प्राइमरी के मास्टर का नमस्कार!
ReplyDeleteवैश्वीकरण ने हमें फायदे तो दिलाये आर्थिक पर साहित्यिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में हमें बहुत बड़ी चोट पहुचाई है/