Tuesday, August 1, 2017

"दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-१६"

शादी की तिथि निर्धारित हो जाने के बाद ही मनोज का तनाव बढ़ने का समय आ गया था। माया से बात करने पर पता चला कि वह शादी के लिए खरीददारी करने के लिए गयी थी। मनोज पहले ही स्पष्ट कर चुका था कि वह अपने या अपने परिवार के लिए कोई भी वस्तु या किसी भी रूप में धन स्वीकार न करेगा। इसके बाबजूद माया के द्वारा शादी के लिए खरीददारी मनोज की समझ से बाहर थी। मनोज ने बार-बार माया से खरीददारी करने को मना किया। किंतु वह हँसकर टाल देती कि कुछ विशेष नहीं खरीदा है। एक दिन जब माया ने बताया कि वह मनोज के लिए व उसके परिवार वालों के लिए कपड़े खरीद कर लायी है। मनोज ने माया के भाई को फोन करके कह दिया कि वह शादी नहीं हो सकती। माया के भाई का कहना था कि लोगों को दिखाने के लिए कुछ तो करना पड़ता है। फिर भी आप कहते हैं तो हम वापस करवा देंगे। मनोज को यह दिखावे का जीवन ही तो पसन्द न था। आज समाज की यही वास्तविकता है। हम सब कुछ दिखावे के लिए करते हैं। मनोज को शादी से पूर्व ही शादी टूटती हुई नजर आने लगी। फिर भी उसने सोचा कि अभी शादी के चाव में माया कुछ ध्यान नहीं दे रही। आगे समय के साथ सब कुछ समय जायेगी।
मनोज स्पष्ट कर चुका था कि माया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी प्रकार का धन चाहे वह रोकड़ के रूप में हों या वस्तु के रूप में नहीं लायेगी। माया को केवल अपने वैयक्तिक वस्त्र व आभूषण लाने की छूट दी गयी थी। उसके बाबजूद परंपरा के नाम पर मनोज के लिए कुछ खरीदने की बात करना संबन्ध बनने से पूर्व ही खतरे में डालने वाली बात थी। हद तो तब हो गयी जब मनोज को मालुम चला कि माया ने अभी तक अपन बैंक खाता बन्द नहीं किया है। मनोज ने परेशान होकर स्पष्ट रूप से मना कर दिया कि वह शादी न करेगा। मनोज के इस प्रकार मना करने के बाद माया के व उसके भाई के लगातार फोन आने लगे। वे बार-बार अपनी परेशानी बता रहे थे। माया का भाई कहने लगा कि इस प्रकार सभी प्रकार की तैयारियाँ होने के बाद हम तो समाज में मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे। उसने यह भी कहा कि माया ने तो यह सुनकर खाना-पीना ही छोड़ दिया है। कुछ भी हो मनोज बैंक खाते के साथ माया को स्वीकार करने को तैयार न था। मनोज का मानना था कि जब पहले से ही सब कुछ बता दिया था तो अब उसके पालन में हीला-हवाली क्यों? आखिर बार-बार के एस.एम.एस. आने के बाद माया का एस.एम.एस. आया कि उसने अपना बैंक खाता बंद कराकर सारे रूपये अपनी माँ के खाते में जमा करा दिये हैं। मनोज ने उन लोगों की परेशानी को ध्यान में रखकर शादी करने की सहमति दे दी। माया व माया के भाई ने उसे आश्वासन दिया था कि वे किसी भी प्रकार का सामान नहीं लायेंगे।

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