Saturday, August 12, 2017

थकना नहीं,रुकना नहीं

समस्याए अनेक है और 
ईरादा सिर्फ एक कि 

थकना नहीं,रुकना नहीं l
रोकेंगी ये तुम्हे पहाड़ बनकर,
खड़े रहना तुम भी निडर तनकर,
तपस्या है जीवन की कठिन पर,
तुम थकना नहीं,रुकना नहींl
कभी कुछ छूटने का दुख होगा,
गहन अंधेरे में तुम्हारा मुख होगा,
वीरान होगा समय,घमाशान होगा, पर
तुम थकना नहीं,तुम रुकना नहीं l
जीवन हर कदम पर परखेगा ,
थोड़ा-थोड़ा,तेज-तेज सरकेगा,
एक कहानी होगी,बड़ी हैरानी होगी,
तुम थकना नहीं और रुकना नहीं l
भोग-विलास व्यभिचार का सांप डसने को होगा,
परिस्थितिवश पांव इसमें फसने को होगा,
घुटन भी होगी,बेचैनी भी होगी,मगर 
तुम थकना नहीं,रुकना नहीं l
बूढ़ापे में बचपन एक ख्वाब होगा,
तेरे कर्मों का भी हिसाब होगा ,
मृत्यु भी होगी,मुक्ति भी होगी,
तुम थकना नहीं,तुम रुकना नहीं l



कवि-दीपक मेहरा

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