Tuesday, August 15, 2017

"दहेज के बिना शादी के संकल्प का परिणाम-१९"

आर्य समाज मन्दिर में पहुँचने के बाद ही मनोज की यह आशंका बलवती होने लगी कि मनोज से शायद गलती हो गयी है। मनोज ने जैसी कल्पना की थी, वे लोग वैसे नहीें थे। मनोज सादा व बिना भीड़ वाली शादी चाहता था। माया वहाँ की न होते हुए भी पचास से अधिक लोग तो रहे ही होंगे। वहाँ के माहोल में ही बनाबटीपन की बू आ रही थी। शालीनता, साधारण व सच्चाई से कोसों दूर का वातावरण लग रहा था। मनोज को वहाँ घुटन का अनुभव हो रहा था। माया से बार-बार मना करने पर भी वह प्रदर्शन की इच्छा से काफी सामान इकट्ठा कर रखा था। मनोज का उसे देखकर ही सर चकरा गया। मनोज ने माया को चेतावनी भी दे दी कि जिस प्रकार से तुम कर रही हो। मेरे साथ सुखी नहीं रह पाओगी। चेतावनी देने के बाद मनोज ने कुछ भी साथ ले आने से साफ इंकार कर दिया। माया मनोज के लिए शादी के समय पहनने के लिए कुछ कपड़े भी लाई थी। उसने कहा तो यह था कि ये आपकी तरफ से खरीदे हैं। आप इनके रूपये दे देना किंतु वहाँ के माहोल को देखकर मनोज ने उनको पहनने से साफ इंकार कर दिया।
मनोज ने आर्य समाज मंदिर में शादी करना इसलिए स्वीकार किया था कि वहा साधारण व सादगी से शादी होगी। लेकिन वहाँ भी माया व उसके तथाकथित अपने लोगों ने पूरा नाटक कर रखा था। मनोज ने दुःखी मन से जैसे-तैसे वहाँ के रीति-रिवाजों में भाग लिया। आर्य समाज मंदिर में नाम पते के प्रमाणों के साथ प्रत्येक पक्ष से दो-दो गवाहों के आवासीय प्रमाण पत्र जमा कराये गये। मनोज के साथ कोई था ही नहीं। अतः माया की तरफ के दो व्यक्तियों ने ही मनोज के पक्ष के गवाह बनकर हस्ताक्षर किए। वरमाला का आयोजन था किंतु वरमाला थी ही नहीं। माया के पक्ष के लोगों का कहना था कि यह तो आर्य समाज वालों को व्यवस्था करनी थी। आर्य समाज वालों का कहना था कि यह उनके कार्यक्रम का भाग नहीं है। आनन-फानन में मालाएं मगवाई गयीं। कन्या दान का नाटक हुआ। कन्या दान का सारा फण्डा ही मनोज की समझ से बाहर था। कन्या दान की वस्तु है वह कभी स्वीकार ही नहीं कर पाया। और फिर कन्यादान के नाम पर कुछ रूपये भीख की तरह देना। मनोज को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था किंतु वहाँ किसी बखेड़े से बचने के लिए वह चुपचाप तमाशबीन बना रहा। अन्त में कन्यादान से प्राप्त रूपयों को आर्य समाज को दान करके पीछा छुड़ाया। चाय पीने के लिए जोर दिया जा रहा था। पता नहीं क्यों लोग व्यक्ति की इच्छा व आवश्यकता के विरूद्ध खिलाने पिलाने का आग्रह करके अपने बनावटी प्रेम का प्रदर्शन क्यों करते हैं?

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