केवल
माँ ही नहीं,
कामिनी भी है औरत।
केवल बहिन और बेटी ही नहीं,
रागिनी भी है औरत।
केवल पत्नी ही नहीं,
कामाग्नि दग्ध प्रेमिका भी है औरत।
केवल गृहिणी ही नहीं,
स्वामिनी भी है औरत।
केवल समर्पित ही नहीं,
दहेज के झूठे आरोप लगा,
छेड़छाड़ और बलात्कार का बहाना बना,
कानूनों का दुरूपयोग कर,
लुटेरी, लोभी, लालची भी है औरत।
केवल देवी ही नहीं,
मौत बांटती,
टुकड़े-टुकड़े कर
नीले ड्रमों में भर सीमेण्ट से पैक करती
राक्षसी भी है औरत।
औरत की व्याख्या संभव नहीं,
सभी गुणों, विशेषताओं का वर्णन करने में,
लेखनी है असमर्थ,
क्योंकि संपूर्ण सृष्टि को
समाए हुए है औरत।
सृजन का कोई भी रूप,
औरत का एकपक्षीय चित्रण करता है,
संपूर्ण चित्रण संभव ही नहीं,
पुरूष के साथ अपने आपको खोती
पुरूष से हो दूर
खुद से ही दूर जा रही है औरत।
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