समाधान तुम खुद बन जाओ
मानवता जब भटक रही हो, आगे बढ़ कर पथ दिखलाओ।
कदम-कदम हैं, बिछी समस्या, समाधान तुम खुद बन जाओ।।
शिकायत कब तक करते रहोगे?
समर्थ हो, फिर तुम क्यों सहोगे?
कर्म करो और आगे बढ़ो खुद,
दूजों से तुम कब तक कहोगे?
तथ्यों का विश्लेषण करके, योजना बना, चलकर दिखलाओ।
कदम-कदम हैं, बिछी समस्या, समाधान तुम खुद बन जाओ।।
संसाधनों का प्रबंधन करके।
गतिविधियों का नियोजन करके।
संग-साथ में मिल काम करो,
पा लो लक्ष्य संतुलन करके।
संबन्ध सभी ही महत्वपूर्ण हैं, साथ सभी के तुम दिखलाओ।
कदम-कदम हैं, बिछी समस्या, समाधान तुम खुद बन जाओ।।
शिकायत नहीं किसी से करनी।
जिसकी करनी, उसकी भरनी।
प्रेम नाम पर, लूट मची यहाँ,
राह चले, ना मिलतीं परनी।
विश्वासघात से बचकर प्यारे, विश्वासपात्र बनकर दिखलाओ।
कदम-कदम हैं, बिछी समस्या, समाधान तुम खुद बन जाओ।।
शब्द, रूप, रस, गंध कामना।
कमनीय स्पर्श की करो न भावना।
कर्म के पथ पर खुद मिल जाते,
बधँना नहीं है, पाओ पावना।
कदम-कदम पर पथ हैं, पथिक हैं, अपने पथ पर चल दिखलाओ।
कदम-कदम हैं, बिछी समस्या, समाधान तुम खुद बन जाओ।।
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