Wednesday, May 14, 2025

समाधान

अनुत्तरित प्रश्न,

अनसुलझी समस्याएँ,

रिश्तों के रिसते घाव

जीने का बिखर गया चाब।


कदम-कदम बिछी बाधाएं,

शारीरिक-मानसिक व्याधाएँ,

विश्वास से निकलता घात

मिलने पर भी ना कोई बात।


सोशल मीडिया पर हजारों मित्र,

दिल में नहीं है कोई चित्र,

समाज को लगाई जिसने लात

लाइव आत्महत्या इसकी औकात।


शादी, बलात्कार, धर्म परिवर्तन,

सोशल मीडिया का कैसा नर्तन?

छिप जाता धर्म, छिप जाती जात

अन्तस भी घायल, घायल है गात।


समस्याएँ खुली हैं,

आंखें अश्रु धुली हैं,

मीडिया को हटा सीधे करें बात

समाधान निकलेगा, मिल खाओ भात।


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