Friday, June 4, 2021

तू ही अर्धांगिनी नहीं है मेरी

 मैं भी अर्धांग तेरा हूँ

                                        


तू ही अर्धांगिनी नहीं है मेरी, मैं भी अर्धांग तेरा हूँ।

तू दिल का राजा, कहती, रानी, मैं तेरा चेरा हूँ।।

नारी ने नर को चलना सिखाया।

नारी ने जन्मा, दूध पिलाया।

नारी बिन, अस्तित्व न नर का,

नारी प्रेम ने, नर को मिलाया।

जब-जब मैं भटका हूँ, पथ से, तूने ही तो टेरा हूँ।

तू ही अर्धांगिनी नहीं है मेरी, मैं भी अर्धांग तेरा हूँ।।

नारी प्रेरणा है, हर नर की।

नारी आधार है, इस भव की।

तुझसे ही तो, घर है बसता,

तू ही लक्ष्मी, है घर-घर की।

तू है, मेरे उर की शेरनी, मैं भी तो तेरा शेरा हू।

तू ही अर्धांगिनी नहीं है मेरी, मैं भी अर्धांग तेरा हूँ।।

तेरे बिन है, नीरस जीवन।

तू ही साज, तू ही है सीवन।

अधर तेरे अमृत के प्याले,

तू ही प्राण, तू ही संजीवन।

तू ही, मेरे प्राणों की कुटिया, मैं, भी, तेरा खेरा हूँ।

तू ही अर्धांगिनी नहीं है मेरी, मैं भी अर्धांग तेरा हूँ।।


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