Wednesday, June 2, 2021

ऊपर अब नारी चढ़ी,

नर को आती लाज

     


गए जमाने बीत वह, कहलाते थे नाथ।

हम तुमको ही नाथ दें, नहीं चाहिए साथ।।


पिजड़ों को हम तोड़कर, आज हुईं आजाद।

हमको घर ना चाहिए, ना सजने का साज।|


आई लव यू कह ठगी, ठग कर साधे काज।

विधान का कोड़ा चला, नर पर नारी  राज।।


छेड़छाड़ के केस में, पल में देत फंसाय।

किसकी मजाल, देख ले, बिन मर्जी कह हाय।।


सास-ससुर, चलती कहा, ना पति की है खैर।

झूठे दहेज केस से, निकले सारा वैर।।


हमने तो अब छोड़ दी, लाज, शर्म औ आन।

सब नर के जिम्मे किए, कहकर तुम हो जान।।


मरजी से सब कुछ करें, बलात्कार का केस।

नारी को जब खुश करें, बदल जात तब वेश।।


पढ़ी-लिखी नारी भली, करती है सब काज।

ऊपर अब नारी चढ़ी, नर को आती लाज।।


नारी नर को छोड़ कर, लग विकास की दौड़।

दोनों मिल आगे बढ़ो, करो न कोई होड़।।


नारी अब है जग रही, नर के चलती साथ।

शिक्षा में आगे बढ़ी, थामे नर का हाथ।।


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