जीते जी
संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी
गुस्सा करते हो क्यों हम पर हम इसे झेल नहीं पायेंगे।
पल भर को तुम दूर हुए, हम जीते जी मर जायेंगे।।
तुमने ही जीना सिखलाया,
तुमने हमको पथ दिखलाया।
निराशाओं में भटक रहे थे,
तुमने आकर धैर्य बँधाया ।
दुनियां से हम अलग रहे पर तुम्हें छोड़ नहीं पायेंगे।
पल भर को तुम दूर हुए, हम जीते जी मर जायेंगे।।
तुम ही केवल आश हमारी,
तुम ही हो अरदास हमारी।
तुम्हारी खातिर ही ता हम,
दर-दर के हैं बने भिखारी।
साथ तुम्हारा यदि मिल जाये,हम भूखे सो जायेंगे।
पल भर को तुम दूर हुए, हम जीते जी मर जायेंगे।।
तुमने जितना हमें भुलाया,
उतना ही हमने अपनाया।
हमने तुमरे हर प्रेमी को,
अपना समझा गले लगाया।
तुमने हमको ना अपनाया, यादों में खो जायेंगे।
पल भर को तुम दूर हुए, हम जीते जी मर जायेंगे।।
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