Friday, March 27, 2020

सुता, भगिनि, पत्नी माता बन, नर की प्राणाधार हो

                               


सुता, भगिनि, पत्नी माता बन, नर की प्राणाधार हो।
नारी बिन अस्तित्व न नर का, तुम ही जग की सार हो।
विद्या की देवी हो तुम ही।
शिव की शक्ति भी हो तुम ही।
जिसके पीछे जग बौराया,
धन की लक्ष्मी भी हो तुम ही।
मुस्कान पर नर मिट जाता तुम से कारोबार हो।
सुता, भगिनि, पत्नी माता बन, नर की प्राणाधार हो।।
तुम से नर संपूरण होता।
तुम बिन खाये भंवरों में गोता।
तुम जब नर से मिल जाती हो,
तभी पुष्प सृष्टि का खिलता।
तुम हो कामना, तुम हो भावना, भक्ति तारणहार हो।
सुता, भगिनि, पत्नी, माता बन, नर की प्राणाधार हो।।
तुमरे बिन जग धर्म न होता।
तुम ही जग में, अर्थ की स्रोता।
तुम ही कामना, काम की हो रति,
तुम से ही नर मोक्ष है पाता।
राष्ट्रप्रेमी कृतज्ञ तुम्हारा, माँ! तुम ही पालनहार हो।
सुता, भगिनि, पत्नी, माता बन, नर की प्राणाधार हो।।

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