प्रेम लुटाता हूँ
नहीं कामना, कामिनी कोई, मैं तो प्रेम लुटाता हूँ।
होठों पर मुस्कान मधुमई, जिसे देख मुस्काता हूँ।
सुंदरता की मूरत हो तुम।
भोलेपन की सूरत हो तुम।
वाकपटु, व्यवहार कुशल हो,
सादगी भरी, खुबसूरत हो तुम।
तुमसे सीखा प्रेम समपर्ण, मैं गीत तुम्हारे गाता हूँ।
नहीं कामना, कामिनी कोई, मैं तो प्रेम लुटाता हूँ।।
जहाँ रहो, स्वतंत्र रहो तुम।
स्वस्थ रहो, प्रसन्न रहो तुम।
खुशियाँ तुम्हें मिलें जीवन में,
हमें कभी ना याद करो तुम।
प्रकृति के कण-कण में पल पल, देख तुम्हें मैं पाता हूँ।
नहीं कामना, कामिनी कोई, मैं तो प्रेम लुटाता हूँ।।
तुम्हारे पथ का पथिक नहीं हूँ।
रमणी, साथी सही नहीं हूँ।
भटकन ही अपना पथ प्यारी,
बसने में, मैं कहीं नहीं हूँ।
तुम अपनी चाहत को पाओ, दुआ यही, मैं दे जाता हूँ।
नहीं कामना, कामिनी कोई, मैं तो प्रेम लुटाता हूँ।।
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