Saturday, December 22, 2018

मन के पऺक्षी

अरमान
         अर्चना पाठक

मन के पंछी उड़
      अरमान बड़ा बाकी है।
धागा रिश्तों का उलझा,
       ताना बुनना बाकी है।
अकेला अकेला रोया खूब,
       हंसना हंसाना बाकी है।
मन के पंछी उड़
      अरमान बड़ा बाकी है।
शिकवे शिकायत बहुत हुए,
      मिलना मिलाना बाकी है।
बीत कर सब रीत गया,
     प्रीत निभाना बाकी है।
मन के पंछी उड़,
       अरमान बड़ा बाकी है।।

                        #होश॑गाबाद

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