अरमान
अर्चना पाठक
मन के पंछी उड़
अरमान बड़ा बाकी है।
धागा रिश्तों का उलझा,
ताना बुनना बाकी है।
अकेला अकेला रोया खूब,
हंसना हंसाना बाकी है।
मन के पंछी उड़
अरमान बड़ा बाकी है।
शिकवे शिकायत बहुत हुए,
मिलना मिलाना बाकी है।
बीत कर सब रीत गया,
प्रीत निभाना बाकी है।
मन के पंछी उड़,
अरमान बड़ा बाकी है।।
#होश॑गाबाद
अर्चना पाठक
मन के पंछी उड़
अरमान बड़ा बाकी है।
धागा रिश्तों का उलझा,
ताना बुनना बाकी है।
अकेला अकेला रोया खूब,
हंसना हंसाना बाकी है।
मन के पंछी उड़
अरमान बड़ा बाकी है।
शिकवे शिकायत बहुत हुए,
मिलना मिलाना बाकी है।
बीत कर सब रीत गया,
प्रीत निभाना बाकी है।
मन के पंछी उड़,
अरमान बड़ा बाकी है।।
#होश॑गाबाद
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